वो भी क्या लोग थे आसान थी राहें जिनकी बन्द आँखें किये इक सिम्त चले जाते थे अक़्ल-ओ-दिल ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त की न उलझन न ख़लिश मुख़्तलिफ़ जलवे निगाह...
जो था वो न था- परवेज़ वारिस
सिर्फ धोखा था कोई तेरा कि जो था वो न था मैंने सोचा था तुझे जैसा कि जो था वो न था मंजिलो की जुस्तजू में घर से मै निकला मगर था सभी कुछ ठी...
वो ख़ुश्बू बदन थी - स्वप्निल तिवारी आतिश
वो ख़ुश्बू बदन थी मगर ख़ुद में सिमटी सी इक उम्र तक यूँ ही बैठी रही बस इक लम्स की मुन्तज़िर उसे एक शब ज्यों ही मैंने छुआ, उससे तितली उड़ी, फ...
हर एक धडकन अजब आहट- अब्दुल अहद साज़
हर एक धडकन अजब आहट परिंदों जैसी घबराहट मिरे लहजे में शीरीनी मिरी आँखों में कड़वाहट मिरी पहचान है शायद मिरे हिस्से कि उकताहट सिमटता ...
गाँव हमारा डूब गया- परवेज़ मुजफ्फर
Parvez Muzaffar एक-एक मस्जिद, सारे मंदिर, हर गुरुद्वारा डूब गया बिजली घर का बाँध बना तो गाँव हमारा डूब गया बस्ती वालों से कहता था घबरा...
कितना अच्छा था वह बचपन - अतीक इलाहाबादी
उनके आँगन बरसा सावन गिनना छोडो दिल की धडकन उसके आंसू मेरा दामन गम है लाज़िम कैसी उलझन उनके चर्चे गुलशन गुलशन बस्ती में है घर-घर रावन कि...
एक क़तरा मलाल भी बोया नहीं गया - फरहत अब्बास शाह
एक क़तरा मलाल भी बोया नहीं गया वोह खौफ था के लोगों से रोया नहीं गया यह सच है के तेरी भी नींदें उजड़ गयीं तुझ से बिछड़ के हम से भी सोया नहीं...