दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये
इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार
दीवार-ओ-दर को ग़ौर से पहचान लीजिये
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये
कहिये तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
- शहरयार
क्या आपने इस ब्लॉग(जखीरा) को सब्सक्राइब किया है अगर नहीं तो इसे फीड या ई-मेल के द्वारा सब्सक्राइब करना न भूले |
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये
इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार
दीवार-ओ-दर को ग़ौर से पहचान लीजिये
माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास
लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये
कहिये तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
- शहरयार
क्या आपने इस ब्लॉग(जखीरा) को सब्सक्राइब किया है अगर नहीं तो इसे फीड या ई-मेल के द्वारा सब्सक्राइब करना न भूले |
Post a Comment