राज़िक़ अंसारी साहब इंदौर के रहने वाले है आपने अपनी शायरी की शुरुवात सन 1985 में की थी आपका जन्म 1 अप्रैल 1960 को हुआ | मक़तल छोड़ के घर जा...
बस यही तुझसे यार होना था - मोमिन खां मोमिन
गुस्सा बेगाना-वार होना था बस यही तुझसे यार होना था क्यों न होते अज़ीज़ गैर तुम्हे मेरी किस्मत में ख़्वार होना था मुझे जन्नत में वह सनम न ...
अभी चुप रहो तुम, आवाम सो रहा है - गुरप्रीत काफिऱ
इंसानियत का कत्ल सरेआम हो रहा है, अभी चुप रहो तुम, आवाम सो रहा है । हो धरम या सियासत बस एक ही कहानी हाथों में छुरी ले के राम राम हो रहा ...
आप से तुम, तुम से तू होने लगी- दाग देहलवी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप से तुम, तुम से तू होने लगी मेरी रुसवाई की नौबत आ गयी शोहरत उनकी कूबकू होने लगी अब के मिल के देखिये क्या ...
उसका अंदाज है अभी तक लड़कपन वाला- कैफ भोपाली
आज ही के दिन 24 जुलाई 1991 को ठीक 24 साल पहले शायर कैफ भोपाली साहब इस दुनिया को अलविदा कह गए और अपनी यादो उनके मुरीदो के लिए छोड़ गए उनकी एक...
गरीबे शहर का सर है - अहमद कमाल 'परवाजी'
गरीबे शहर का सर है के शहरयार का है ये हमसे पूछ के गम कौन सी कतार का है किसी की जान का, न मसला शिकार का है यहाँ मुकाबला पैदल से शहसवार क...
बुजुर्गो कि बाते बेमानी नहीं है - रौनक रशीद खान
बुजुर्गो कि बाते बेमानी नहीं है समझना उन्हें बस आसानी नहीं है मोहब्बत में बेताबियो का है आलम कभी रातभर नींद आनी नहीं है मेरे हौसलों क...
करोगे याद तो - बशर नवाज
उर्दू शायरी के बडे शायरो में शुमार किये जाने वाले शायर बशर नवाज साहब का 9 जुलाई 2015 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में निधन हो गया । आपका यह गी...
एक जुग बाद शबे-गम की सहर देखी है - गोपाल दास नीरज
एक जुग बाद शबे-गम की सहर देखी है देखने की न उम्मीद थी मगर देखी है जिसमे मजहब के हर एक रोग का लिखा है इलाज वो किताब हमने किसी रिंद के घर ...
मेरा वो आशना था बहुत - चाँद शेरी
चाँद शेरी साहब के जन्मदिन के अवसर पर उनकी यह ग़ज़ल पेश है :- मेरा वो आशना था बहुत मुझसे लेकिन खफ़ा था बहुत ज़र्द पत्ते हरे हो गए बादलों मे...