
नये परिन्दों को उड़ने में वक़्त तो लगता है |
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है |
गाँठ अगर पड़ जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी,
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है |
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया है,
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है।
-हस्तीमल हस्ती
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सच कहा हर बिगडी चीज़ को संवरने मे वक्त तो लगता है
ReplyDelete@वन्दनाजी धन्यवाद टिप्पणी देने के लिए वैसे
ReplyDeleteहमने इलाज-ए-जख्म-ए-दिल तो ढूढ लिया है
गहरे जख्मो को भरने में वक्त तो लगता है
हस्ती साहब सच्चाई इस ग़ज़ल में कह गए |
गांठ अगर पद जाये तो फिर रिश्ते हो या डोरी
ReplyDeleteलाख करे कोशिश खुलने में वक्त तो लगता है .....
वाह एक दम सही कहा ...वक्त तो लगता है