वो महकती पलकों की और से कोई तारा चमका था रात में मेरी बंद मुठ्ठी न खोलिए, वही कोहिनूर है हाथ में में तमाम तारे उठा-उठा के गरीब लोगो म...
ज़मी जहा भी खुले, घर निकलने लगते है- राहत इन्दोरी
पुराने शहर के मंजर निकलने लगते है ज़मी जहा भी खुले, घर निकलने लगते है मैं खोलता हूँ सदफ मोतियों के चक्कर में मगर यहाँ भी समन्दर निकलने ...
हजारो लफ्ज़, हजारो किताब दे देंगे -राहत इन्दोरी
हजारो लफ्ज़, हजारो किताब दे देंगे में तुझको लिखू तो कागज जवाब दे देंगे न मिसाल खुदा की, न कोई तेरी मिसाल न शायरी, न दलीले, न फलसफा, न ख...
बहुत हसीं है दुनिया इसे कैसे ख़राब करू - राहत इन्दोरी
अब अपनी रूह के छालो का कुछ हिसाब करू मैं चाहता था चिरागों को आफ़ताब करू बुतों से मुझको इज़ाज़त अगर कभी मिल जाए तो शहर भर के खुदाओ को बेनका...
नाकामियो के बाद भी हिम्मत वही रही- मुनव्वर राना
नाकामियो के बाद भी हिम्मत वही रही, ऊपर का दूध पीकर के भी ताकत वही रही शायद ये नेकिया है हमारी की हर जगह, दस्तर के बगेर भी इज्जत वही रह...
मै अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाउगी - परवीन शाकिर
कमाले-जब्त को खुद भी आजमाउगी मै अपने हाथ से उसकी दुल्हन सजाउगी! सुपुर्द करके उसे चांदनी के हाथो में में अपने घर के अंधेरो में लौट ...
चमन-दर-चमन पायमाली रहे -शहरयार
चमन-दर-चमन पायमाली रहे, हवा तेरा दामन न खाली रहे ! ज़रा एक करवट कि अश्जार पर, कोई फूल बांकी न डाली रहे ! कही सब्ज फसले दिखाई न दे, ज...
उस निगाहे मस्त के मस्तो की मस्ती और है - बहादुर शाह जफ़र
उस निगाहे मस्त के मस्तो की मस्ती और है, और मै है और उनकी मै परस्ती और है अब्रे मिन्जगा से बंधे जिस तरह अश्को की झड़ी, इस तरह से कब ...